ganesh ji ki kahani | भगवान गणेश जी की कहानी

ganesh ji ki kahani | भगवान गणेश जी की कहानी

   बुजुर्ग महिला और मिट्टी के गणेश जी की कहानी :  भक्ति की शक्ति

बहुत पुरानी बात है एक बार एक वृद्ध महिला थी जो कि भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति की  रोज पूजा करती थी इस पर महिला की भगवान गणेश में बहुत आस्था थी और चाहे कुछ भी हो जाए वह नित्य गणेश पूजन के  कार्यक्रम को नहीं छोड़ती थी किंतु उसके साथ एक समस्या यह थी कि वह रोज मिट्टी के गणेश जी की मूर्ति बनाती थी और रोज पानी में गिला होने की वजह से पुनः अपने मूल स्वरूप में  लौट आती थी शायद इसका कारण यह था कि मूर्ति मिट्टी की होने की वजह से पूजन के दौरान जो जलाभिषेक किया जाता था उससे मूर्ति गीली होकर टूट जाती थी | ganesh ji ki kahani | भगवान गणेश जी की कहानीइससे यह महिला बहुत निराश हो जाती थी | महिला की भगवान गणेश में बहुत आस्था थी पास ही में एक बड़े सेठ की हवेली का निर्माण कार्य चल रहा था तो महिला ने उस हवेली के  पत्थर का काम करने वाले  कारीगरों से अनुरोध किया कि उसके लिए भगवान गणेश की एक पत्थर की मूर्ति बनाकर दे दे ताकि उनकी रोज पूजा कर सके और उसकी समस्या का समाधान हो सके | महिला की बात सुनकर सेठ की हवेली में काम करने वाले कारीगरों ने उसका उपहास उड़ाया और कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं इतनी देर में तो हम पूरी दीवार की चुनाई कर देंगे हम भला यह काम क्यों करें ?ganesh ji ki kahani | भगवान गणेश जी की कहानी  वृद्ध स्त्री ने दुखी होकर भगवान गणेश  से मन ही मन प्रार्थना की  और जाते समय यह कह के गई  कि भगवान करे तुम्हारी दीवार   टेढ़ी हो जाए, अब क्या था भगवान तो सदैव भक्तों की लाज रखते हैं भगवान विशुद्ध प्रेम के भूखे हैं  वृद्ध महिला की कही हुई बात साकार होने लगी और कारीगरों द्वारा  चुनी गई दीवार कितनी भी कोशिश करने के बावजूद भी  हर बार टेढ़ी हो जाती इस तरह से पूरा दिन बीत गया | शाम को जब हवेली का  सेठ आया तो उसने कारीगरों से पूछा कि आज पूरे दिन में कोई काम नहीं हुआ क्या ? तो कारीगरों ने अपने   बीती हुई घटना का ब्यौरा दिया और कहा कि  एक वृद्ध स्त्री आई थी जो कि भगवान गणेश की बड़ी भक्त प्रतीत होती थी हमने उसकी बातों को हल्के में लिया उसने हमारे से कहा था कि मेरे पत्थर के गणेश जी की मूर्ति बना दो तो हमने इंकार कर दिया और कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं जितनी देर में तुम्हारे पत्थर की मूर्ति बनाएंगे उतनी देर में तो हम और ज्यादा काम करेंगे हमने ऐसा कह कर उस महिला की मदद नहीं की थी, तो वह जाते-जाते कह कर गई थी कि भगवान करे तुम्हारी दीवार    टेढ़ी हो जाए उसके बाद हम कितना ही प्रयास कर रहे हैं और बार-बार चुनाई करने के बावजूद और बार-बार नाप तोल करने के बावजूद भी दीवार सीधी नहीं बना पा रहे हैं, सेठ ने जब यह सुना तो वह तुरंत समझ गया क्योंकि वह अनुभवी एवं विद्वान व्यक्ति था उसने उन कारीगरों को कहा तुम तुरंत उस महिला को ससम्मान आदर सहित माफी मांगकर निमंत्रण दो और यहां बुलाओ |ganesh ji ki kahani | भगवान गणेश जी की कहानी महिला के आगमन पर सेठ ने महिला को प्रणाम किया और अज्ञानता वश  हुई भूल के लिए माफी मांगी और कहा कि मैं आपके सोने के गणेश जी की मूर्ति बनवा दूंगा कृपया मेरी हवेली की दीवार सीधी करवा दो, महिला ने मन ही मन भगवान गणेश की प्रार्थना की भगवान गणेश    ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और सेठ की हवेली की दीवार अपने आप सीधी हो गई | हे भगवान गणेश, हे विघ्नहर्ता, हे  सर्वशक्तिमान जिस प्रकार से आपने उस  वृद्ध महिला भक्त की निस्वार्थ भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी वाणी सिद्ध की उसी प्रकार से सभी दुखी – दरिद्र, वृद्ध, और असहाय लोगों की मदद करना ऐसी सभी भक्तों की प्रार्थना है |

इस कहानी  से शिक्षा : 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी का उपहास नहीं उड़ाना चाहिए और सदैव निस्वार्थ भाव से ईश्वर की भक्ति करना चाहिए ईश्वर सर्वशक्तिमान है भगवान भक्तों की पुकार जरूर  सुनते हैं |

 

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