मेरी शादी कब होगी | meri shadi kab hogi ?

ज्योतिष के अनुसार, किसी व्यक्ति की शादी कब होगी, इसका निर्धारण उसकी कुंडली में स्थित ग्रहों और नक्षत्रो की चाल  के आधार पर किया जाता है। विवाह  की उम्र में ग्रह- नक्षत्रों  की पोजीशन  या स्थति जातक की शादी को सुगम या मुश्किल बनती है  इसीलिए प्राचीन लोक मान्यता है की जन्म मरण और परण (विवाह )  ईश्वर  के हाथ में है  इसमें जातक का वश  नहीं चलता है अर्तार्थ ये घटनाये कहीं  न कही पारलौकिक कारणों से होती है | कई  व्यक्ति ऐसे भी है जिन्हे मनचाहा वर -वधु मिल जाती है और कई व्यक्ति  काफी समय से अपनी शादी के लिए परेशांन  है किन्तु  उनकी शादी या विवाह नहीं हो पा रहा है , कई बार बात बनते बनते बिगड़ जाती है और रिश्ता तय होने से पहले ही कोई न कोई अड़चन आ जाती है, ऐसे में जातक भारी  निराश हो जाता है और उसे अपना जीवन जीवन साथी की कमी की  वजह से व्यर्थ लगने लग जाता है किन्तु  ऐसे समय मे हिम्मत से काम लेना चाहिए निराश होने से चन्द्रमा की ज्योतिषीय स्थति बिगड़ जाती है, राहु हावी होने लगता है इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़कर ईश्वर में आस्था रखते हुए जीवन के प्रति सकारात्मक दृश्टिकोण अपनाना चाहिए , कुछ ज्योतिषीय उपाय किये जा सकते है जिनकी वजह से आपकी शादी का योग बन सकता है आइये इस पर विस्तार से चर्चा करते है

ज्योतिष में विवाह के लिए कोनसा भाव जिम्मेदार माना जाता है :-

किसी जातक के विवाह के लिए कुंडली का  सातवां भाव बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भाव जीवनसाथी, विवाह, विवाह से संबंधित समस्याएं, संतान, पारिवारिक समूह, दंपति के संबंध और विवादों से संबंधित भाव  माना जाता  है यदि इस भाव में अशुभ ग्रह  बैठे  हो या अशुभ ग्रहों  की दृष्टि पड़ रही हो तो  विवाह में विलम्ब होना स्वाभाविक है ।

 

कुंडली के सातवें भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति विवाह के समय और परिणाम को प्रमुखतया  निर्धारित करती है। ज्योतिष के अनुसार, शुक्र, बुध और गुरु को विवाह के लिए शुभ ग्रह माना जाता है। इन ग्रहों की स्थिति अच्छी होने पर व्यक्ति  जल्दी  और   राजी ख़ुशी  मनपसंद  विवाह करता है।  शादी के पश्चात वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है |

 

दूसरी ओर, शनि, मंगल और राहु को विवाह के लिए अशुभ ग्रह माना जाता है। इन ग्रहों की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति को विवाह में देरी या बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। बहुत प्रयत्न करने पर भी विवाह के योग नहीं बन पाते है  ऐसे में जातक परेशानी से घिर जाता है  किन्तु ऐसी स्थति में किसी योग्य और जानकार ज्योतिषी की सलाह लेकर ज्योतिषीय उपाय अपनाये जा सकते है जो ग्रह अड़चन पैदा कर रहा है उसे ज्योतिषीय उपायों से शांत किया जा सकता है किन्तु  ज्योतिषीय उपाय अपनाने से पूर्व ज्योतिषी और ज्योतिष विषय तथा हमारी गौरवशाली संस्कृति के प्रति श्रदाभाव आवश्यक है अन्यथा ये उपाय फलप्रद नहीं होंगे यदि हमारा ग्रहो पर विश्वास नहीं है तो ग्रह नक्षत्र आपको शुभ फल क्यों देंगे वो तो अपनी अखंड ऊर्जा और गति से अनादि काल से चलायमान है किन्तु भक्ति में शक्ति होती है भक्ति से ही प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाये जा सकते है

 

सातवें भाव में  उपरोक्त  वर्णित   ग्रहों के अलावा, अन्य ग्रहों की स्थिति भी विवाह को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, चंद्रमा का सातवें भाव में होना भी विवाह के लिए शुभ माना जाता है। सूर्य और मंगल का सातवें भाव में होना विवाह में देरी या बाधाओं का कारण बनता  है।

क्या बिना कुंडली के शादी की भविष्यवाणी की जा सकती है ?

 

ज्योतिष के अनुसार, किसी व्यक्ति की शादी कब होगी, इसका निर्धारण करने के लिए कुंडली का गहन अध्ययन करना आवश्यक है। एक योग्य ज्योतिषी व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन करके उसके विवाह के समय और परिणाम के बारे में सटीक भविष्यवाणी कर सकता है। कुंली का कई आयामों से अध्ययन आवश्यक है तभी सटीक और फलप्रद भविष्यवाणी की जा सकती है

यहां कुछ सामान्य ज्योतिषीय कारण बताये  गए हैं जो किसी व्यक्ति की शादी में देरी या बाधाओं का कारण बन सकते हैं:

सातवें भाव में स्थित अशुभ ग्रह

मंगल की साढ़े साती या शनि की साढ़े साती

मांगलिक दोष

लग्न का अशुभ होना

कुंडली में विवाह योग का न होना

 

विवाह या शादी में देरी किन ग्रहों की वजह से होती है ?

ज्योतिष के अनुसार, शनि, मंगल और राहु को विवाह के लिए अशुभ ग्रह माना जाता है। इन ग्रहों की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति को विवाह में देरी या बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

सातवें भाव में स्थित शनि के कारण व्यक्ति को विवाह में देरी, जीवनसाथी के साथ मतभेद, या तलाक का सामना करना पड़ सकता है। मंगल के कारण व्यक्ति को विवाह में देरी, जीवनसाथी के साथ झगड़े, या अस्थिर संबंधों का  सामना करना पड़ सकता है। राहु के कारण व्यक्ति को विवाह में देरी, जीवनसाथी के साथ धोखा, या विवाह के बाद समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ज्योतिष में, सूर्य और मंगल को दो महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। सूर्य को आत्मा और पिता का कारक माना जाता है, जबकि मंगल को ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक माना जाता है।

सातवां भाव विवाह, साझेदारी और रिश्तों का भाव माना जाता है। सातवें भाव में स्थित सूर्य और मंगल का प्रभाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है।

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और मंगल का सातवें भाव में होना विवाह में देरी या बाधाओं का कारण बन सकता है। सूर्य और मंगल दोनों ही ग्रह अग्नि तत्व के हैं, और इन दोनों ग्रहों की युति व्यक्ति को अधिक आक्रामक और दबंग बना सकती है। यह व्यक्ति के जीवनसाथी के साथ झगड़े और संघर्ष का कारण बन सकता है।

साथ ही, सूर्य और मंगल का सातवें भाव में होना व्यक्ति के जीवनसाथी के साथ मतभेद और असहमति का कारण बन सकता है। इन दोनों ग्रहों की युति व्यक्ति के जीवनसाथी के साथ संबंधों को तनावपूर्ण बना सकती है।

यदि आपकी कुंडली में सातवें भाव में सूर्य और मंगल का योग है, तो आपको योग्य ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए। ज्योतिषी जी  आपकी कुंडली का अध्ययन करके आपको कुछ उपाय बता सकते है   जो आपको इन नकारात्मक प्रभावों से बचने में मदद कर सकते हैं।

चंद्रमा का सातवें भाव में होना विवाह के लिए शुभ माना जाता है। चंद्रमा का सातवें भाव में होना व्यक्ति को भावनात्मक रूप से स्थिर और संतुलित बनाता है। यह व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के साथ मजबूत भावनात्मक संबंध बनाने में मदद करता है।ज्योतिष में, चंद्रमा को मन, भावनाओं और स्त्रीत्व का कारक माना जाता है। सातवां भाव विवाह, साझेदारी और रिश्तों का भाव माना जाता है।

साथ ही, चंद्रमा का सातवें भाव में होना व्यक्ति को अपने जीवनसाथी की भावनाओं को समझने और उनका सम्मान करने में मदद करता है। यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाता है तथा व्यक्ति अपने जीवन साथी के साथ मतभेद नहीं होते और रिश्ता तय होने के बाद टूटने की सम्भावना काम रहती है ।

राहु के कारण व्यक्ति को विवाह में देरी-

 

ज्योतिष में, राहु को छाया ग्रह माना जाता है। यह ग्रह अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है।

राहु का सातवें भाव में होना विवाह में देरी या बाधाओं का कारण बन सकता है। राहु का सातवें भाव में होना व्यक्ति को असमंजस में डाल सकता है  और शंकालु स्वभाव का  और भ्रमित बना सकता है। यह व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के बारे में सही निर्णय लेने में मुश्किल पैदा कर सकता है और विवाह में बड़ा आ सकती है राहु ग़लतफ़हमी या शंका पैदा कर सकता है और बना बनाया सारा काम बिगड़ सकता है

साथ ही, राहु का सातवें भाव में होना व्यक्ति को  जीवनसाथी से धोखे और विश्वासघात का शिकार बना सकता है। यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को नष्ट कर सकता है। इससे बचने के लिए निम्न उपाय किये जा सकते है

राहु के मंत्रों का जाप करें।

माँ वीणा वादिनी सरस्वती माता की पूजा करें

राहु के रत्न गोमेद को ज्योतिषीय सलाह से अनुष्ठान पूर्वक श्रद्धाभाव से  धारण करें।

राहु के निमित्त  दान करें।

हनुमान जी की पूजा करे और मंगलवार का व्रत रखे ।

इन उपायों को करने से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुधार हो सकता है और उसे विवाह में देरी या बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ सकता है।

इसके  अतिरिक्त उपाय दिए गए हैं जो राहु के सातवें भाव में होने के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं:

माता पिता बुजुर्गो की सेवा करें, गौ माता को गुड़ और रोटी या हरी घास चारा प्रदान करें

दूसरों की मदद करें और दूसरों की सेवा करें।

क्षमता अनुसार दान करें और जरूरतमंद लोगों की मदद करें।

पवित्र स्थानों की यात्रा करें। नशा और व्यसनों से बचें

भगवान में विश्वास रखें और प्रार्थना करें।

इन उपायों को करने से व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो सकती है और वह राहु के नकारात्मक प्रभावों से बच सकता है।

मेरी शादी कब होगी | meri shadi kab hogi ? तो इस लेख को पढ़ने के बाद आपको जानकारी मिल गई होगी इसी प्रकार के अन्य ज्योतिषीय प्रश्नो का उत्तर प्राप्त करने और अपनी जन्म कुंडली प्राप्त करने के लिए हमसे संपर्क करें

 

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